


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत के टेक्नोलॉजी क्षेत्र को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि साल 2025 के अंत तक भारत का पहला मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप बाजार में उपलब्ध होगा। यह कदम भारत को वैश्विक टेक्नोलॉजी बाजार में आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में निर्णायक माना जा रहा है।
भारत में बनेगा अब दुनिया का माइक्रोब्रेन
पीएम मोदी ने कहा - भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, निर्माता भी बनेगा। सेमीकंडक्टर चिप्स, जिन्हें तकनीकी दुनिया का 'माइक्रोब्रेन' कहा जाता है, अब भारत में बनाए जाएंगे। 2025 के अंत तक पहला मेड इन इंडिया चिप बाजार में होगा।"
उन्होंने यह भी बताया कि चिप मैन्युफैक्चरिंग के लिए कई प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कंपनियों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
सेमीकंडक्टर क्यों है महत्वपूर्ण?
- ये चिप्स मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, रक्षा उपकरण, स्वास्थ्य उपकरण आदि में इस्तेमाल होते हैं
- भारत अभी तक इनका आयात करता रहा है
- मेड इन इंडिया चिप्स से आयात पर निर्भरता घटेगी
- भारत वैश्विक टेक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर बढ़ेगा
6G नेटवर्क पर भी तेजी से काम
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब केवल 5G तक सीमित नहीं रहेगा। देश में मेड इन इंडिया 6G नेटवर्क के विकास पर भी तेज़ी से कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा - भारत आने वाले वर्षों में न केवल 6G इस्तेमाल करेगा, बल्कि उसका विकास भी यहीं से होगा।
देश में टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को बढ़ावा
सरकार पहले ही गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों की स्थापना को लेकर:
- 20 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश स्वीकृत कर चुकी है
- चिप डिजाइनिंग, फैब्रिकेशन और पैकेजिंग के लिए PLI (Production Linked Incentives) स्कीम लागू है
- स्टार्टअप्स और MSMEs को तकनीकी क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए विशेष नीति लाई जा रही है
ग्लोबल चिप संकट में भारत की भूमिका
दुनियाभर में 2020-2022 के दौरान सेमीकंडक्टर चिप की भारी कमी देखी गई थी। ऐसे में भारत जैसे विशाल बाजार का खुद चिप निर्माण की दिशा में बढ़ना, वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन को स्थिरता प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत अब “बैकएंड टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर” नहीं, बल्कि “टेक्नोलॉजी इनोवेशन लीडर” बनने की ओर अग्रसर है। मेड इन इंडिया चिप न केवल स्वदेशी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को वैश्विक रणनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।